मैं तुम्हे वैसे ही देख रहा था जैसे एक उपासक अपने आराध्य को देखता है, नम्र और श्रद्धा से भरी आंखों से, इस प्रतीक्षा में की उसका आराध्य अब प्रतिमा से बाहर आकर अपने करुणामयी आंखों से आलिंगन करते हुए समेट लेगा उसे और उसके सारी पीड़ाओं को ।।
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