जाग रहाहै अब सोया हिंदू लगा मचलने सागर सिंधु दोहराने फिर गौरव गाथा भरने लगा हुंकारहै हिंदू सदियों से सुसुप्त सा सो रहा सहिष्णुता का पाठ पढ़ रहा धर्म से वो विमुख हो अपने आततायियों को था झेल रहा नई चेतना है पाई उसने धर्म ध्वज लहराई उसने तोड रहा अंगडाई हिन्दू जाग रहा हॆअब सोया हिंदू
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