कलयुग का दूसरा पड़ाव…! ये है बिना संस्कार वाली शिक्षा, जो केवल और केवल पैसे को वैल्यू देती है। ना माँ, ना बाप, ना भाई… धिक्कार है ऐसी शिक्षा और ऐसे पैसे पर….
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