एक चुटकी कि तेरे नाफ़ में पड़ जाएं भंवर एक बोसा कि तेरे गाल को गीला कर दे रूह की आंच बढ़ा तेज़ कर एहसास की लौ जिस्म को इश्क़ ओ मोहब्बत का पतीला कर दे इस्तिआरा कोई मिल जाए मुझे ठोस ऐसा जो तेरे हुस्न का मज़मून लचीला कर दे..
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